Friday, August 15, 2025

जीवन की काव्य माला ~एल. श्वेता श्रीवास्तव

 


यह पुस्तक भावनाओं, अनुभवों और आत्म-खोज की एक गहन यात्रा है, जिसे लेखिका एल. श्वेता श्रीवास्तव ने अत्यंत संवेदनशीलता और ईमानदारी के साथ प्रस्तुत किया है। प्रस्तावना से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि यह किताब उन लोगों के लिए है जो अपने जीवन में भावनात्मक उतार-चढ़ाव से गुजरते हैं—जो कभी-कभी खुद को अकेला, उपेक्षित या ‘टेकन फॉर ग्रांटेड’ महसूस करते हैं। लेखिका हमें यह एहसास कराती हैं कि हम अकेले नहीं हैं, हर कोई जीवन के इस दौर से गुजरता है, और इन्हीं अनुभवों से हम परिपक्व होते हैं, जीवन को गहराई से समझ पाते हैं।

इस किताब की सबसे बड़ी खूबी इसकी सादगी और आत्मीयता है। लेखिका ने अपने विचारों को बिना किसी बनावट के, दिल से निकले शब्दों में पिरोया है। भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और जुड़ाव पैदा करने वाली है, जिससे हर पाठक को ऐसा लगता है जैसे यह किताब उसके अपने दिल की बातें कह रही हो।

पुस्तक में केवल दर्द या अकेलेपन की बातें ही नहीं हैं, बल्कि हर अनुभव के पीछे छुपी हुई उम्मीद और आत्मबल की झलक भी है। यह हमें सिखाती है कि कठिनाइयाँ हमें तोड़ने के लिए नहीं आतीं, बल्कि हमें खुद को बेहतर तरीके से समझने और अपनाने का अवसर देती हैं।

व्यक्तिगत रूप से मुझे यह पसंद आया कि इसमें भावनाओं को किसी भारी-भरकम शब्दावली में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की भाषा में व्यक्त किया गया है, जिससे हर कोई इससे जुड़ सके। यह किताब सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि महसूस करने के लिए है—एक ऐसी यात्रा, जो आपको अपने भीतर झाँकने और खुद से गहरा संबंध बनाने के लिए प्रेरित करती है।

यह पुस्तक उन सभी के लिए अनुशंसित है जो जीवन को भीतर से महसूस करना और समझना चाहते हैं।

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